संसार रूपी मकान से निकलकर मोक्ष प्राप्त करने का अवसर केवल मनुष्य जन्म में ही मिलता है। मनुष्य कर्मफल के अनुसार पशु -पक्षियों ,कीट -पतंगों की योनियों में भटकता है। जब कभी मनुष्य जन्म मिलता है तो उसे विषय -वासना रूपी खुजली मन में उठती है और वह उसके चक्कर में पड़ जाता है। बस ,मनुष्य जन्म रूपी दरवाजा निकल जाता है और वह विविध योनिओं में भटकता रहता है। मनुष्य के साथ हर जन्म में वही होता है जो अंधे व्यक्ति के साथ हुआ।
एक अन्धा किसी बड़े भारी मकान के भीतर बंद हो गया। अब बेचारे को मार्ग मिलना कठिन हो गया ,परन्तु अंधे ने एक युक्ति सोची कि यदि मैं दीवार पकड़े -पकड़े इसके सहारे चलूँ तो दरवाजा अवश्य मिल जाएगा। अंधे ने ऐसा ही किया ,परन्तु दीवार पकड़े -पकड़े जब भी वह दरवाजे के सामने आता ,तो उसकी देह में खुजली उठती जिससे वह दोनों हाथों से दीवार का सहारा छोड़ खुजलाने लगता। इसी भाँति उसने सैकड़ों चक्कर लगाए ,पर हर बार दरवाजा निकल जाता था वह यों ही हाथ मलता रह जाता था।
इसका भाव यह है कि यह जीवात्मारूपी अन्धा पुरुष जन्म -जन्मांतर रूपी मकान के घेरे में पड़ा उससे निकलने का प्रयास करता है। यह ज्ञात रहे कि अंदर से निकलने का दरवाजा एकमात्र मनुष्य -योनि है। जब मनुष्य जन्म मिलता है तब -तब उसमें विषय -वासना रूपी खुजली उठा करती है ,विषयों में ही इसकी उम्र व्यतीत हो जाती है और मनुष्य -शरीर -रूपी दरवाजा निकल जाता है। जन्म -जन्मांतर तक जीव विभिन्न योनियों में भटकता रहता है।
एक अन्धा किसी बड़े भारी मकान के भीतर बंद हो गया। अब बेचारे को मार्ग मिलना कठिन हो गया ,परन्तु अंधे ने एक युक्ति सोची कि यदि मैं दीवार पकड़े -पकड़े इसके सहारे चलूँ तो दरवाजा अवश्य मिल जाएगा। अंधे ने ऐसा ही किया ,परन्तु दीवार पकड़े -पकड़े जब भी वह दरवाजे के सामने आता ,तो उसकी देह में खुजली उठती जिससे वह दोनों हाथों से दीवार का सहारा छोड़ खुजलाने लगता। इसी भाँति उसने सैकड़ों चक्कर लगाए ,पर हर बार दरवाजा निकल जाता था वह यों ही हाथ मलता रह जाता था।
इसका भाव यह है कि यह जीवात्मारूपी अन्धा पुरुष जन्म -जन्मांतर रूपी मकान के घेरे में पड़ा उससे निकलने का प्रयास करता है। यह ज्ञात रहे कि अंदर से निकलने का दरवाजा एकमात्र मनुष्य -योनि है। जब मनुष्य जन्म मिलता है तब -तब उसमें विषय -वासना रूपी खुजली उठा करती है ,विषयों में ही इसकी उम्र व्यतीत हो जाती है और मनुष्य -शरीर -रूपी दरवाजा निकल जाता है। जन्म -जन्मांतर तक जीव विभिन्न योनियों में भटकता रहता है।
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