लोग सोचते हैं कि घर के धंधों में प्रभु -भक्ति का समय ही नहीं निकलता। सब कुछ छोड़कर कहीं एकांत में भजन करेंगे। यही सोच लोग घर बार छोड़कर चल देते हैं ,परन्तु जंगल में भी वहीं दुनिया बस जाती है। आवास ,भोजन, वस्त्र चेले -चेलियाँ ,धन आदि सब वहीं। फिर वहीं धंधे -हथकंडे। अतः घर छोड़ने का विचार जरूरी नहीं। जो करना है इसी खट -खट में कर लो। संसार तो नाम ही खट -खट का है। इससे कहां तक बचोगे।
इसके लिए एक दृष्टांत देखिए -एक अश्वारोही नवयुवक कहीं जा रहा था। मार्ग में एक कुंआ पड़ा ,जिसपर रहट चल रहा था। घुड़सवार ने सोचा कि घोड़े को पानी पिला लें ,तब आगे चलेंगे। वह घोड़े को कुंए पर लेकर गया। रहट की खट -खट की आवाज सुनकर घोडा चौंक गया। उसने मुँह हटा लिया।
नवयुवक ने कहा --भाई साहब जरा रहट रोक लो तो मैं अपने घोड़े को पानी पिला लूँ। खट -खट की आवाज से यह चौंक रहा है। रहट चलने वाले ने कहा -भाई ,आवाज तब रुकेगी जब रहट रुकेगा ,फिर पानी आना भी बंद हो जायेगा तो क्या पिलाओगे ?अतः पिलाना ही है तो खट -खट में ही पिला लो ,नहीं तो घोडा प्यासा ही रहेगा।
अतः प्रभु भक्ति करनी है तो संसार में रह कर ही करो ,कहीं बाहर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
इसके लिए एक दृष्टांत देखिए -एक अश्वारोही नवयुवक कहीं जा रहा था। मार्ग में एक कुंआ पड़ा ,जिसपर रहट चल रहा था। घुड़सवार ने सोचा कि घोड़े को पानी पिला लें ,तब आगे चलेंगे। वह घोड़े को कुंए पर लेकर गया। रहट की खट -खट की आवाज सुनकर घोडा चौंक गया। उसने मुँह हटा लिया।
नवयुवक ने कहा --भाई साहब जरा रहट रोक लो तो मैं अपने घोड़े को पानी पिला लूँ। खट -खट की आवाज से यह चौंक रहा है। रहट चलने वाले ने कहा -भाई ,आवाज तब रुकेगी जब रहट रुकेगा ,फिर पानी आना भी बंद हो जायेगा तो क्या पिलाओगे ?अतः पिलाना ही है तो खट -खट में ही पिला लो ,नहीं तो घोडा प्यासा ही रहेगा।
अतः प्रभु भक्ति करनी है तो संसार में रह कर ही करो ,कहीं बाहर जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
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