माता -पिता हमारे लिए पूजनीय होते हैं लेकिन उनकी वृद्धावस्था में जब हम उनका साथ नहीं दे पाते तो बाद में हमे बड़ा पछतावा होता है। सोहन को वृद्धाश्रम आए हुए पूरा एक महीना हो गया था उसका इकलौता बेटा ही उसे यहां छोड़कर गया था। जब सोहन को अतीत की बातें याद आती तो वह हमेशा समय को ही कोसता रहता। एक दिन समय का चक्र सोहन के सामने प्रकट होकर कहने लगा -हे मानव तुम मुझे हमेशा क्यों कोसते रहते हो ?सोहन ने इल्जाम लगाते हुए कहा -ओह तुम। तुम बहुत निर्दयी हो समय !कितना कष्ट दिया है तुमने मुझे।
समय ने जोरदार ठहाका लगाते हुए कहा -हे मानव तुम इन हालातों के लिए मुझे दोषी क्यों ठहरा रहे हो? मैं अब भी वैसा ही हूं जैसा पहले था, हालात बदले हैं तो तूने खुद बदले हैं। मैंने तो तुम्हें प्रभु राम और श्रवण कुमार जैसे माता -पिता के भक्त पुत्रोँ का अनुकरणीय अतीत दिया था। अगर तुम उनका अनुकरण करते तो आज तुम्हारी ये हालत न होती। आज तुम्हारे बेटे ने तुम्हारा अनुकरण किया है तो इतना दुखी क्यों हो?
तुम भी तो अपने वृद्ध माता -पिता को गांव में छोड़ आए थे। तुम्हें अब उनके उपेक्षित और एकांकी जीवन का एहसास जरूर हो रहा होगा। ये तो नीति संगत है मानव !जैसी करनी- वैसी भरनी। समय कभी नहीं बदलता मानव ,बदले तो तुम हो। बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय। यह कहकर समय का चक्र अदृश्य हो गया सोहन का व्यग्र मन अब शांत हो गया था। . उसने संतुष्टि भरे मन से समय से समझौता कर लिया। अब उसके पास पश्चाताप के आसुओं के सिवा कुछ नहीं था।
समय ने जोरदार ठहाका लगाते हुए कहा -हे मानव तुम इन हालातों के लिए मुझे दोषी क्यों ठहरा रहे हो? मैं अब भी वैसा ही हूं जैसा पहले था, हालात बदले हैं तो तूने खुद बदले हैं। मैंने तो तुम्हें प्रभु राम और श्रवण कुमार जैसे माता -पिता के भक्त पुत्रोँ का अनुकरणीय अतीत दिया था। अगर तुम उनका अनुकरण करते तो आज तुम्हारी ये हालत न होती। आज तुम्हारे बेटे ने तुम्हारा अनुकरण किया है तो इतना दुखी क्यों हो?
तुम भी तो अपने वृद्ध माता -पिता को गांव में छोड़ आए थे। तुम्हें अब उनके उपेक्षित और एकांकी जीवन का एहसास जरूर हो रहा होगा। ये तो नीति संगत है मानव !जैसी करनी- वैसी भरनी। समय कभी नहीं बदलता मानव ,बदले तो तुम हो। बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय। यह कहकर समय का चक्र अदृश्य हो गया सोहन का व्यग्र मन अब शांत हो गया था। . उसने संतुष्टि भरे मन से समय से समझौता कर लिया। अब उसके पास पश्चाताप के आसुओं के सिवा कुछ नहीं था।
this is amazing, thank you
ReplyDelete