भला इंसान दूसरों में अच्छाइयां ढूंढ ही लेता है। फिर भले ही दूसरा मनुष्य बुरा हो ,कृतघ्न हो या चालाक हो ,भले ही दुनिया में कहीं भी हो ,लेकिन एक अच्छा व्यक्ति उसमें हमेशा कोई न कोई अच्छाई जरूर ढूंढ लेता है। ऐसे व्यक्ति हमेशा लोगों की सैकड़ों हजारों अच्छाइयों का ही बखान करते रहते हैं ,ठीक उसी तरह से जैसे मधुमक्खी उन फूलों पर भी जाती है ,जिनमें मधु नहीं होता है। हम जिस दौर में रह रहे हैं वहां प्रतिक्रियाएं तत्काल मिलती हैं। इसमें से सकारात्मक कम नकारात्मक ज्यादा होती हैं। सामने वाले की गलतियां ढूंढ़कर उसमें कुछ मसाला जोड़कर किस्से और गप बनाये जाते हैं और उसकी बुराई कर सुख लिया जाता है। जो कमियां उक्त व्यक्ति में नहीं हैं ,वह भी जोड़ दी जाती हैं। जो चन्द्रमा में दाग देखकर उसकी आलोचना करते हैं ,वे मूर्ख ही होंगे।
जिस तरह मधुमक्खी किसी फूल की बुराई नहीं देखती ,वह केवल उसके मधु पर ध्यान रखती है उसी प्रकार से अच्छे लोग भी केवल अच्छाई की तलाश में रहते हैं। यहां तक कि किसी व्यक्ति में मामूली -सी अच्छाई भी हो तो भी उसे तब तक वे बढ़ा -चढ़ाकर बताते हैं जब तक कि बुराइयां व्यक्ति में खत्म न हो जाए। दुनिया में हम अच्छे और बुरे दोनों ही से सीख ले सकते हैं।
यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं और शरीर में कुछ कटने से उसमें संक्रमण हो जाता है तो मकिखयां उसपर मँडराएंगी। वे स्वस्थ शरीर की ओर आकर्षित न होकरउस संक्रमण की ओर आकर्षित हो रही हैं। इसलिए जिनकी प्रकृति गंदगी की ओर आकर्षित होने की है ,वे सदैव उधर ही जायेंगे ,वे गलती ही ढूंढ़ते रहेँगे और दूसरों को कोसते ही रहेंगे। अतः मनुष्य को चाहिए कि वह दूसरों की गलतियों की ओर ध्यान ही न दें। किसी दूसरे मनुष्य में क्या अच्छा है ,इसे समझने और इस पर चिंतन को केंद्रित करें।
जिस तरह मधुमक्खी किसी फूल की बुराई नहीं देखती ,वह केवल उसके मधु पर ध्यान रखती है उसी प्रकार से अच्छे लोग भी केवल अच्छाई की तलाश में रहते हैं। यहां तक कि किसी व्यक्ति में मामूली -सी अच्छाई भी हो तो भी उसे तब तक वे बढ़ा -चढ़ाकर बताते हैं जब तक कि बुराइयां व्यक्ति में खत्म न हो जाए। दुनिया में हम अच्छे और बुरे दोनों ही से सीख ले सकते हैं।
यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं और शरीर में कुछ कटने से उसमें संक्रमण हो जाता है तो मकिखयां उसपर मँडराएंगी। वे स्वस्थ शरीर की ओर आकर्षित न होकरउस संक्रमण की ओर आकर्षित हो रही हैं। इसलिए जिनकी प्रकृति गंदगी की ओर आकर्षित होने की है ,वे सदैव उधर ही जायेंगे ,वे गलती ही ढूंढ़ते रहेँगे और दूसरों को कोसते ही रहेंगे। अतः मनुष्य को चाहिए कि वह दूसरों की गलतियों की ओर ध्यान ही न दें। किसी दूसरे मनुष्य में क्या अच्छा है ,इसे समझने और इस पर चिंतन को केंद्रित करें।
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