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Thursday, June 21, 2018

मेरी मौत ने जाना सच

 Updesh Kumari     June 21, 2018     Gyaan Sangam     No comments   

कई बार स्वपन भी इंसान को समाज का आईना दिखा देते है| एक दिन सपने में मेरे प्राण पखेरू उड़ गए| मैंने देखा कि शमशान भूमि में वे लोग भी हाजिर थे जो जिंदा रहते हुए मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे| मैं चिता के भीतर से उन सबकी हरकते चुपचाप देख रही थी| वे ऐसे फूटफूट कर रो रहे थे जैसे उनका कोई अपना मर गया हो| मुझे यह सब देख कर बड़ी हैरानी हुई| एक ने कहा यह महिला दुनिया की महान लेखिका होती यदि कुछ दिन और जीवित रहती| इसका जाना हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण क्षति है जो निकट भविष्य मैं पूरी नहीं होगी |दूसरे व्यक्ति ने कहा ये महिला जिंदगी भर क्रांति की बातें करती रही लेकिन जनता क्रांति के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हुई, विश्वास कीजिये अब यह क्रांति करने के लिए जरूर हमारे बीच जन्म लेगी तभी इनकी आत्मा को शांति मिलेगी| तीसरे ने कहा देवी थी देवी, अगर यह दूसरे लोगों की तरह जीवन मैं समझौते कर लेती तो वास्तव मैं बहुत कुछ हासिल कर लेती| चौथे ने कहा इसमें आग थी आग जीवन भर जलती रहती थी क्रोध रूपी अग्नि मैं जलने पर भी वह दुसरो के हित मैं कार्य करती रहती थी| पांचवे ने कहा यह महादेवी थी- दैवीय गुणों से भरपूर थी| उनके न रहने के बाद भी लगता है कि वह अभी किसी क्षण हमारे बीच अचानक आ जाएगी| मेरा मन हुआ कि चित्ता के भीतर से निकल कर कह दू कि तुम लोग जिंदगीभर  मुझे गलियां देते रहे अब मरने के बाद मुझे देवी बनाने पर तुले हुए हो| वैसे सच मानिये मरना मेरे लिए घाटे का सौदा नहीं रहा| मैंने यह तो जाना कि लोग मेरे बारे मैं कैसा सोचते है?|
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Updesh Kumari
सुंदर विचारों को लिखकर प्रकट करना मेरी आदत में शुमार है। मैने सन 1995 में हिंदी साहित्य में (शिवप्रसाद का कथा साहित्य ) शोध प्रबंध लिखा था। मुझे अध्यापन कार्य करते हुए पच्चीस वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। विचारों को एकत्रित कर सहेजना मेरी खूबी रही है। मुझे अपने विचार व्यक्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। मुझे ये बतलाते हुए गर्व है कि मेरे द्वारा पढ़ाये गये छात्र शत -प्रतिशत परिणाम लाये हैं और उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ये कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने का सदैव अवसर मिलता रहा है। मैं अपने पारिवारिक व कार्यस्थल से पूर्ण संतुष्ट हूँ। लिखना मेरा शौक है मजबूरी नहीं। मै आशा करती हू कि आप मेरे द्वारा लिखे गये को पसंद करेंगें।
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सुंदर विचारों को लिखकर प्रकट करना मेरी आदत में शुमार है। मैने सन 1995 में हिंदी साहित्य में (शिवप्रसाद का कथा साहित्य ) शोध प्रबंध लिखा था। मुझे अध्यापन कार्य करते हुए पच्चीस वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। विचारों को एकत्रित कर सहेजना मेरी खूबी रही है। मुझे अपने विचार व्यक्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। मुझे ये बतलाते हुए गर्व है कि मेरे द्वारा पढ़ाये गये छात्र शत -प्रतिशत परिणाम लाये हैं और उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ये कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने का सदैव अवसर मिलता रहा है। मैं अपने पारिवारिक व कार्यस्थल से पूर्ण संतुष्ट हूँ। लिखना मेरा शौक है मजबूरी नहीं। मै आशा करती हू कि आप मेरे द्वारा लिखे गये को पसंद करेंगें।
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