कई बार स्वपन भी इंसान को समाज का आईना दिखा देते है| एक दिन सपने में मेरे प्राण पखेरू उड़ गए| मैंने देखा कि
शमशान भूमि में वे लोग भी हाजिर थे जो जिंदा रहते हुए मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं करते थे| मैं चिता के भीतर से उन
सबकी हरकते चुपचाप देख रही थी| वे ऐसे फूटफूट कर रो रहे थे जैसे उनका कोई अपना मर गया हो| मुझे यह सब देख
कर बड़ी हैरानी हुई| एक ने कहा यह महिला दुनिया की महान लेखिका होती यदि कुछ दिन और जीवित रहती| इसका
जाना हिंदी साहित्य की महत्वपूर्ण क्षति है जो निकट भविष्य मैं पूरी नहीं होगी |दूसरे व्यक्ति ने कहा ये महिला जिंदगी
भर क्रांति की बातें करती रही लेकिन जनता क्रांति के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हुई, विश्वास कीजिये अब यह क्रांति
करने के लिए जरूर हमारे बीच जन्म लेगी तभी इनकी आत्मा को शांति मिलेगी| तीसरे ने कहा देवी थी देवी, अगर यह
दूसरे लोगों की तरह जीवन मैं समझौते कर लेती तो वास्तव मैं बहुत कुछ हासिल कर लेती| चौथे ने कहा इसमें आग
थी आग जीवन भर जलती रहती थी क्रोध रूपी अग्नि मैं जलने पर भी वह दुसरो के हित मैं कार्य करती रहती थी|
पांचवे ने कहा यह महादेवी थी- दैवीय गुणों से भरपूर थी| उनके न रहने के बाद भी लगता है कि वह अभी किसी क्षण
हमारे बीच अचानक आ जाएगी| मेरा मन हुआ कि चित्ता के भीतर से निकल कर कह दू कि तुम लोग जिंदगीभर मुझे
गलियां देते रहे अब मरने के बाद मुझे देवी बनाने पर तुले हुए हो| वैसे सच मानिये मरना मेरे लिए घाटे का सौदा नहीं
रहा| मैंने यह तो जाना कि लोग मेरे बारे मैं कैसा सोचते है?|
मेरी मौत ने जाना सच

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