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Friday, June 22, 2018

निन्दा से जीवन शक्ति का ह्रास

 Updesh Kumari     June 22, 2018     Gyaan Sangam     No comments   

निंदकों का काम है -निंदा करना तथा अपने पुण्यों एवं आंतरिक शांति का विनाश करना। यदि निंदा में रूचि लेने वाला व्यक्ति इतना समझ जाए कि निंदा क्या है तो कितना अच्छा हो ! किन्तु यदि वह इसे समझना ही न चाहे तो क्या किया जा सकता है ?एक सज्जन ने अपने गुरु से कहा कि सत्य की तुलना में असत्य बिलकुल निर्बल होता है। फिर भी वह इतनी जल्दी क्यों फैल जाता है ? इसका कारण यह है कि सत्य जब तक अपना जूता पहनता है ,तब तक असत्य सारी पृथ्वी का चक्कर लगा आता है। सत्य में सब कुछ स्पष्ट ही होता है जबकि असत्य अपने  हजारों रंग दिखाता रहता है।
हजरत मुहम्मद को एक बार ऐसा पता लगा कि उनके पास आने वाले एक व्यक्ति को निंदा करने की बड़ी आदत है। उन्होंने उस व्यक्ति को अपने पास बुला कर पँखों से बनाए गये एक तकिए को देते हुए कहा कि ये पँख तुम घर -घर फेंक आओ। उस व्यक्ति को कुछ पता न चला कि यह सब क्या हो रहा है ?वह  बड़े उत्साह से चल पड़ा। उसने प्रत्येक घर में एक -एक पँख रखते हुए किसी न किसी की निंदा भी की।
दूसरे दिन शाम को पैगंबर ने उसे अपने पास बुलाकर कहा -अब तू पुनः जा और सारे पँखों को वापस ले आ। व्यक्ति ने कहा -यह अब कैसे हो सकेगा ?सारे पँख न जाने कहाँ उड़कर चले गए होंगे ? इस पर मुहम्मद ने कहा -इसी तरह तू जो जगह -जगह जाकर गैर जिम्मेदार बातें करता है ,वे भी वापस नहीं आ सकती। वे भी इधर- उधर उड़ जाती हैं। उनसे तुझे कुछ मिलता नहीं बल्कि तेरी जीवनशक्ति का ही ह्रास होता है और सुनने वालों की भी तबाही होती है। अतः निन्दा जैसी दुष्प्रवृति से बचना ही श्रेयस्कर है। 
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Updesh Kumari
सुंदर विचारों को लिखकर प्रकट करना मेरी आदत में शुमार है। मैने सन 1995 में हिंदी साहित्य में (शिवप्रसाद का कथा साहित्य ) शोध प्रबंध लिखा था। मुझे अध्यापन कार्य करते हुए पच्चीस वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। विचारों को एकत्रित कर सहेजना मेरी खूबी रही है। मुझे अपने विचार व्यक्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। मुझे ये बतलाते हुए गर्व है कि मेरे द्वारा पढ़ाये गये छात्र शत -प्रतिशत परिणाम लाये हैं और उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ये कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने का सदैव अवसर मिलता रहा है। मैं अपने पारिवारिक व कार्यस्थल से पूर्ण संतुष्ट हूँ। लिखना मेरा शौक है मजबूरी नहीं। मै आशा करती हू कि आप मेरे द्वारा लिखे गये को पसंद करेंगें।
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