काम की जगह या पास-पड़ोस में आपका सामना ऐसे व्यक्तियों से हो सकता है ,जो दूसरों का फायदा लेने में माहिर होते हैं। उन्हें न तो कभी पश्चाताप होता है और न दूसरों के प्रति सहानुभूति रहती है। सोशियोपैथ कहलाते हैं। आपका सोशियोपैथ साथी कुछ भी बताए तो आसानी से भरोसा न करें। ये लोग दुखती रग पर हाथ रख कर फायदा उठाने में माहिर होते हैं। जैसे वे कहेंगे बॉस तुम्हारी रिपोर्ट से बहुत नाराज है। जब तक खुद बॉस के मुंह से न सुन ले ,भरोसा न करे। दूसरे ,ऐसे व्यक्तियों को सुधारने की कोशिश न करें।उनसे निपटना आसान नहीं होता। यदि आप संवेदनशील व सहानुभूति रखने वाले व्यक्ति हैं तो यह उनके लिए और भी सही है। वे ऐसे ही लोगों को निशाना बनाते हैं। बेहतर होगा यदि आप पूरी तरह से उनसे संबंध तोड़ लें। तीसरे ,सोशियोपैथ आसपास हो तो चेहरा प्रसन्न रखें। फिर आपका मूड खराब ही क्यों न हो। अपना वास्तविक मूड ऐसे व्यक्तियों पर जाहिर न करें। आपकी नकारात्मक भावना उन्हें उसे भुनाने के लिए आकर्षित करेगी।
व्यक्तिगत जानकारी न दें -अपने परिवार ,मित्रों ,सपनों और भविष्य की योजनाओं पर इनसे बात न करें। ये आपका ,आपके संसाधनों और संबन्धों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। उन्हें यह जता दें कि आपका फायदा उठाना आसान नहीं है। उसे ही बोलते न रहने दें। बातचीत अपने हाथ में लें और लगातार विषय बदलें खासतौर पर जब वह आपको आहत करने की कोशिश कर रहा हो। प्रयास करें कि बातचीत में मौन के लम्बे पल न हो। इनके लिए तीन नियमों का पालन करें -1 एक बार झूठ बोला ,एक वादा तोड़ा और दी गई एक जिम्मेदारी नहीं निभाई। चौथा मौका न दें।आप ऐसे झूठे व्यक्ति से निपट रहे हैं ,जिसकी अंतरात्मा ही नहीं है। दया दिखाएंगे तो वह और फायदा उठाएगा।
2 कौन -सी बातें आपको व्यथित करती हैं या ख़ुशी देती हैं ,इस बारे में बात करना टालें। यदि उसे मालूम पड़ गया है कि कौन -सी बातें आपको गुस्सा दिलाती हैं या उदास करती हैं तो वह इसका इस्तेमाल आपके खिलाफ हथियार की तरह करेगा। अपनी कमजोरी की शिकायत भी न करें।
3 ऐसे लोगों से कभी अहसान न लें। लोगों को शिकार बनाने का उनका एक तरीका यह है कि वे अहसान दिखा कर लोगों पर अधिकार स्थापित कर लेते हैं। ऐसा कुछ न करें कि बाद मेंसोशियोपैथ आपका व्यवहार नियंत्रित करने के लिए उनका इस्तेमाल करे। जैसे पैसे उधार न लें ,तोहफा न लें अथवा किसी भी रूप में मदद न लें।
व्यक्तिगत जानकारी न दें -अपने परिवार ,मित्रों ,सपनों और भविष्य की योजनाओं पर इनसे बात न करें। ये आपका ,आपके संसाधनों और संबन्धों का इस्तेमाल करना चाहते हैं। उन्हें यह जता दें कि आपका फायदा उठाना आसान नहीं है। उसे ही बोलते न रहने दें। बातचीत अपने हाथ में लें और लगातार विषय बदलें खासतौर पर जब वह आपको आहत करने की कोशिश कर रहा हो। प्रयास करें कि बातचीत में मौन के लम्बे पल न हो। इनके लिए तीन नियमों का पालन करें -1 एक बार झूठ बोला ,एक वादा तोड़ा और दी गई एक जिम्मेदारी नहीं निभाई। चौथा मौका न दें।आप ऐसे झूठे व्यक्ति से निपट रहे हैं ,जिसकी अंतरात्मा ही नहीं है। दया दिखाएंगे तो वह और फायदा उठाएगा।
2 कौन -सी बातें आपको व्यथित करती हैं या ख़ुशी देती हैं ,इस बारे में बात करना टालें। यदि उसे मालूम पड़ गया है कि कौन -सी बातें आपको गुस्सा दिलाती हैं या उदास करती हैं तो वह इसका इस्तेमाल आपके खिलाफ हथियार की तरह करेगा। अपनी कमजोरी की शिकायत भी न करें।
3 ऐसे लोगों से कभी अहसान न लें। लोगों को शिकार बनाने का उनका एक तरीका यह है कि वे अहसान दिखा कर लोगों पर अधिकार स्थापित कर लेते हैं। ऐसा कुछ न करें कि बाद मेंसोशियोपैथ आपका व्यवहार नियंत्रित करने के लिए उनका इस्तेमाल करे। जैसे पैसे उधार न लें ,तोहफा न लें अथवा किसी भी रूप में मदद न लें।
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