ईश्वर में विश्वास बनाये रखना अति आवश्यक है तभी हमारे अहंकार पर नियंत्रण होगा
और हम अच्छे कार्य करते हुए शांतचित्त बने रह सकते है। जब मनुष्य के अंदर अहंकार आता
है वह या तो दूसरों पर हावी होने की कोशिश करता है या खुद को भटकाने की तैयारी करता
है। अहंकार में पड़ कर वह अत्यधिक सम्मान की इच्छा करता है वह चाहता है कि मेरे शब्द
आदेश बन जायें और जहाँ खड़ा होऊ मुझे पूरा मान सम्मान मिले। वह अच्छे व् बुरे दोनों
प्रकार के लोगों में एक साथ उतर जाता है बुरे लोग उसकी संगत में पड़ कर गलत कार्य करते
हैं जबकि अच्छे आदमी उसकी संगत में पड़ कर खुद को अधिक परेशान करने लगते हैं।अहंकार
के चलते बुरा आदमी अशांत हो तो समझ में आता है कि इसे सजा मिल रही है पर भला आदमी केवल
अहंकार के कारण खुद की अशांति की सजा दे ठीक नहीं अच्छे लोगों को अपनी अच्छाई का न
हो इसके लिए बहुत सावधानी रखनी आवश्यक है अतः अहंकार से बचने का एक सीधा व् सरल उपाय
है - अपने से ऊपर परम शक्ति पर विश्वास। अथार्त जो कुछ हमें मिल रहा है या हम इच्छा
कर रहे हैं उसे देने वाला परमात्मा है परमात्मा में अटूट आस्था ही हमें अहंकार से बचा
सकती है तभी हम अच्छे कार्य करते हुए शांतचित बने रह सकते है।
अहंकार पर विजय कैसे हो

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