1 विश्व में अधिकांश लोग इसलिए असफल हो जाते हैं ,क्योंकि उनमें समय पर साहस का संचार नहीं हो पाता। -स्वामी विवेकानंद
2 निष्काम कर्म ईश्वर को ऋणी बना देता है और ईश्वर उसको सूद सहित वापस करने के लिए बाध्य हो जाता है। -स्वामी रामतीर्थ
3 अपने कर्मों के प्रति बहुत ज्यादा संकोची और निराशावादी मत बनिए। दरअसल पूरा जीवन ही एक अनुभव है। -इमरसन
4 स्वर्ग और पृथ्वी सब हमारे ही अंदर विधमान हैं ,पर हम अपने अंदर के स्वर्ग से बिलकुल अपरिचित हैं। -महात्मा गांधी
5 बुजुर्गो के चेहरे की एक -एक झुर्री पर हजार -हजार अनुभव लिखे होते हैं। -मुनिश्री तरुणसागर
6 लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित कर पाना सफलता का एक अति महत्वपूर्ण सूत्र है। -थियोडोर रूजवेल्ट
7युद्ध में उन्हीं को विजय प्राप्त होती है ,जो शत्रु की निर्बलता के समय उस पर प्रहार करते हैं। -कालिदास
8 विश्वास और प्रेम में एक समानता है ,दोनों में से कोई भी जबरदस्ती पैदा नहीं किया जा सकता। -शोपेन ऑवर
9 युवावस्था आवेशमय होती है। यदि वह क्रोध से आग हो सकती है तो करुणा से पानी भी हो सकती है। -प्रेमचंद
10 कर्म ,शील व गुण से मनुष्य जैसा पूज्य होता है ,वैसा जाति और कुल से नहीं ,क्योंकि श्रेष्ठता न जाति से प्राप्त होती है ,न कुल से ही। -शुक्रनीति
11 केवल मनुष्य ही रोता हुआ जन्मता है ,शिकायतें करता हुआ जीता है और निराश मरता है। -पं ,जवाहर लाल नेहरू
12 दूसरों की आजादी की रक्षा करके ही आप अपनी स्वतंत्रता को महफूज रख सकते हैं।- क्लेरेंस डेरो
2 निष्काम कर्म ईश्वर को ऋणी बना देता है और ईश्वर उसको सूद सहित वापस करने के लिए बाध्य हो जाता है। -स्वामी रामतीर्थ
3 अपने कर्मों के प्रति बहुत ज्यादा संकोची और निराशावादी मत बनिए। दरअसल पूरा जीवन ही एक अनुभव है। -इमरसन
4 स्वर्ग और पृथ्वी सब हमारे ही अंदर विधमान हैं ,पर हम अपने अंदर के स्वर्ग से बिलकुल अपरिचित हैं। -महात्मा गांधी
5 बुजुर्गो के चेहरे की एक -एक झुर्री पर हजार -हजार अनुभव लिखे होते हैं। -मुनिश्री तरुणसागर
6 लोगों के साथ सामंजस्य स्थापित कर पाना सफलता का एक अति महत्वपूर्ण सूत्र है। -थियोडोर रूजवेल्ट
7युद्ध में उन्हीं को विजय प्राप्त होती है ,जो शत्रु की निर्बलता के समय उस पर प्रहार करते हैं। -कालिदास
8 विश्वास और प्रेम में एक समानता है ,दोनों में से कोई भी जबरदस्ती पैदा नहीं किया जा सकता। -शोपेन ऑवर
9 युवावस्था आवेशमय होती है। यदि वह क्रोध से आग हो सकती है तो करुणा से पानी भी हो सकती है। -प्रेमचंद
10 कर्म ,शील व गुण से मनुष्य जैसा पूज्य होता है ,वैसा जाति और कुल से नहीं ,क्योंकि श्रेष्ठता न जाति से प्राप्त होती है ,न कुल से ही। -शुक्रनीति
11 केवल मनुष्य ही रोता हुआ जन्मता है ,शिकायतें करता हुआ जीता है और निराश मरता है। -पं ,जवाहर लाल नेहरू
12 दूसरों की आजादी की रक्षा करके ही आप अपनी स्वतंत्रता को महफूज रख सकते हैं।- क्लेरेंस डेरो
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