1 अवगुण नाव के पेंदे में मौजूद उन छिद्रों के समान हैं ,जो कभी भी नाव को डुबो सकते हैं।-- कालिदास
2 त्याग से पाप का मूलधन ही चुकता है और दान से पाप का ब्याज। --आचार्य विनोबा भावे
3 कमजोर आदमी हर काम को असंभव समझता है ,जबकि वीर पुरुष हर असंभव कार्य को साधारण। -पं.मदनमोहन मालवीय
4 जो मस्तिष्क समर्पण में झुकता है ,उसे शर्म से कभी नहीं झुकना पड़ता।-- श्री श्री रविशंकर
5 थोड़ा पढ़ना ,ज्यादा सोचना ,कम बोलना ,ज्यादा सुनना -ये बुद्धिमान होने के उपाय हैं।-- रवीन्द्रनाथ टैगोर
6 आदमी जो कमाता है वह नहीं ,बल्कि जो बचाता है वह धन ही उसे धनी बनाता है। -महाभारत
7 चिंता एक काली दीवार की भांति चारों ओर से हमें घेर लेती है ,जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती। -प्रेमचंद
8 सहनशील होना अच्छी बात है ,परन्तु अन्याय का विरोध करना उससे भी उत्तम है। -जयशंकर प्रसाद
9 अज्ञानता और विचारहीनता मानवता के विनाश के दो बड़े कारण हैं। --जॉन मिलटन
10 सुख और आनंद ऐसे इत्र हैं जिन्हें जितना अधिक दूसरों पर छिड़कोगे ,उतनी ही सुगंध आपके भीतर समाएगी। -इमर्सन
2 त्याग से पाप का मूलधन ही चुकता है और दान से पाप का ब्याज। --आचार्य विनोबा भावे
3 कमजोर आदमी हर काम को असंभव समझता है ,जबकि वीर पुरुष हर असंभव कार्य को साधारण। -पं.मदनमोहन मालवीय
4 जो मस्तिष्क समर्पण में झुकता है ,उसे शर्म से कभी नहीं झुकना पड़ता।-- श्री श्री रविशंकर
5 थोड़ा पढ़ना ,ज्यादा सोचना ,कम बोलना ,ज्यादा सुनना -ये बुद्धिमान होने के उपाय हैं।-- रवीन्द्रनाथ टैगोर
6 आदमी जो कमाता है वह नहीं ,बल्कि जो बचाता है वह धन ही उसे धनी बनाता है। -महाभारत
7 चिंता एक काली दीवार की भांति चारों ओर से हमें घेर लेती है ,जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती। -प्रेमचंद
8 सहनशील होना अच्छी बात है ,परन्तु अन्याय का विरोध करना उससे भी उत्तम है। -जयशंकर प्रसाद
9 अज्ञानता और विचारहीनता मानवता के विनाश के दो बड़े कारण हैं। --जॉन मिलटन
10 सुख और आनंद ऐसे इत्र हैं जिन्हें जितना अधिक दूसरों पर छिड़कोगे ,उतनी ही सुगंध आपके भीतर समाएगी। -इमर्सन
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