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Saturday, June 23, 2018

निद्रा और मृत्यु दोनों सगी बहनें - कैसे ?

 Updesh Kumari     June 23, 2018     Gyaan Sangam     No comments   

निद्रा और मृत्यु दोनों सगी बहनों की भाँति हैं। मृत्यु माँ है तो निद्रा माँ -सी है अथार्त उसकी छोटी बहन है। जितनी आवश्यकता नींद की होती है ,मृत्यु की आवश्यकता उससे कहीं अधिक होती है। मृत्यु का महत्व नींद की तुलना से अधिक है। जीवन -भर में प्राणी कितनी ही नींदें कर ले ,परन्तु अंतिम नींद मृत्यु की ही गोद में करनी पड़ती है। नींद की अवधि कुछ ही घंटों के लिए होती है ,परन्तु जिसे मृत्यु सदा के लिए गोद में सुला देती है उसे फिर कोई जगा नहीं सकता।
निद्रा और मृत्यु में बहुत हद तक समानता है। निद्रा में दिन -भर की शारीरिक थकान मिटती है ,आनंद -सा प्राप्त होता है ,फिर सुबह उठने पर स्फूर्ति ,ताजगी मिलती है ;उसी प्रकार मृत्यु सारे जीवन की थकान दूर करती है ,पुराने शरीर को समाप्त कर नया शरीर प्रदान करती है। नई स्फूर्ति ,नए साहस के साथ नया जन्म मिलता है। जीवात्मा पुनः कर्म करता है और उन्नति का एक और अवसर मिलता है ,ईश्वर प्राप्ति का एक और अवसर प्राप्त होता है। जहां पर उसे आनंद ही आनंद मिलता है। 
कभी -कभी मनुष्य को नींद नहीं अपनाती ,नींद नहीं आती ,लोग नींद के लिए परेशान होते हैं ,ओषधियाँ लेते है फिर भी नींद नसीब नहीं होती ,परन्तु मृत्यु की गोद में सभी प्राणियों को सदा के लिए नींद अवश्य ही प्राप्त होती है। नींद ठुकरा सकती है ,परन्तु मृत्यु किसी को नहीं ठुकराती ,सबको गले लगाती है ,सबको अपनी आग़ोश में पनाह देती है। यही फ़र्क है निद्रा और मृत्यु में। 
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Updesh Kumari
सुंदर विचारों को लिखकर प्रकट करना मेरी आदत में शुमार है। मैने सन 1995 में हिंदी साहित्य में (शिवप्रसाद का कथा साहित्य ) शोध प्रबंध लिखा था। मुझे अध्यापन कार्य करते हुए पच्चीस वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। विचारों को एकत्रित कर सहेजना मेरी खूबी रही है। मुझे अपने विचार व्यक्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। मुझे ये बतलाते हुए गर्व है कि मेरे द्वारा पढ़ाये गये छात्र शत -प्रतिशत परिणाम लाये हैं और उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ये कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने का सदैव अवसर मिलता रहा है। मैं अपने पारिवारिक व कार्यस्थल से पूर्ण संतुष्ट हूँ। लिखना मेरा शौक है मजबूरी नहीं। मै आशा करती हू कि आप मेरे द्वारा लिखे गये को पसंद करेंगें।
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