हमें कभी किसी को गालियाँ नहीं देनी चाहिए ,न ही अपशब्द कहने चाहिए। ऐसा करना अशिष्टता और असभ्यता है गालियों से अपनी ही वाणी और मन दूषित होते हैं। संस्कार गन्दे होते हैं। जिसे गालियाँ दी गई उसे वे नहीं लगती बल्कि स्वयं को लगती हैं। इसके लिए एक दृष्टांत देखिए ---
एक दिन एक महात्मा एक गांव में से जा रहे थे। मार्ग में कुछ उद्द्ण्ड लोग खड़े थे। उन्होंने महात्मा को देखकर हंसी उड़ाना शुरू कर दिया। महात्मा पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उद्द्ण्ड लोगों ने देखा कि उनकी शरारत का महात्मा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे उसे तंग करना चाहते थे पर महात्मा तंग भी नहीं हुआ। इस बात से चिड़कर उन्होंने महात्मा को गालियाँ देनी आरंभ कर दी। सोचा ,अब तो महात्मा अवश्य चिढ़ेंगे ,किन्तु महात्मा अब रुककर शांत भाव से खड़े रहे। अंत में उद्द्ण्ड लोग थककर चुप हो गए।
उनके चुप होने पर महात्मा ने कहा ---तुम कह चुके ,अब मेरी भी बात सुनो। उद्द्ण्ड लोग महात्मा की बात सुनने पर राजी हो गए। महात्मा ने उनसे पूछा --बताओ ,यदि तुम कोई वस्तु किसी को दान में दो और वह न ले तो वह वस्तु किसके पास रहेगी ?उद्द्ण्डों ने कहा ---दानदाताओं अथार्त हमारे पास ही रहेगी क्योंकि वह वस्तु तो हमारी है।
बिलकुल सही कहा तुमने। इसी प्रकार तुमने जो गालियाँ दी वे मैंने नहीं ली। वे गन्दी गालियाँ तुम्हारे पास ही रह गई। तुम्हीं गालियों वाले बने रह गए। --महात्मा ने शांत भाव से कहा। यह सुनकर वे उद्द्ण्ड लज्जित हो गए और उन्होंने भविष्य में कभी गाली न देने और अपशब्द न कहने का वचन दिया।
एक दिन एक महात्मा एक गांव में से जा रहे थे। मार्ग में कुछ उद्द्ण्ड लोग खड़े थे। उन्होंने महात्मा को देखकर हंसी उड़ाना शुरू कर दिया। महात्मा पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उद्द्ण्ड लोगों ने देखा कि उनकी शरारत का महात्मा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे उसे तंग करना चाहते थे पर महात्मा तंग भी नहीं हुआ। इस बात से चिड़कर उन्होंने महात्मा को गालियाँ देनी आरंभ कर दी। सोचा ,अब तो महात्मा अवश्य चिढ़ेंगे ,किन्तु महात्मा अब रुककर शांत भाव से खड़े रहे। अंत में उद्द्ण्ड लोग थककर चुप हो गए।
उनके चुप होने पर महात्मा ने कहा ---तुम कह चुके ,अब मेरी भी बात सुनो। उद्द्ण्ड लोग महात्मा की बात सुनने पर राजी हो गए। महात्मा ने उनसे पूछा --बताओ ,यदि तुम कोई वस्तु किसी को दान में दो और वह न ले तो वह वस्तु किसके पास रहेगी ?उद्द्ण्डों ने कहा ---दानदाताओं अथार्त हमारे पास ही रहेगी क्योंकि वह वस्तु तो हमारी है।
बिलकुल सही कहा तुमने। इसी प्रकार तुमने जो गालियाँ दी वे मैंने नहीं ली। वे गन्दी गालियाँ तुम्हारे पास ही रह गई। तुम्हीं गालियों वाले बने रह गए। --महात्मा ने शांत भाव से कहा। यह सुनकर वे उद्द्ण्ड लज्जित हो गए और उन्होंने भविष्य में कभी गाली न देने और अपशब्द न कहने का वचन दिया।
आनंदम
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