Gyaan Sangam
  • Home
  • Gyaan Sangam
  • Hindi Quotes
  • Health

Thursday, September 6, 2018

अपशब्दों से अपनी ही वाणी गंदी होती है।

 Updesh Kumari     September 06, 2018     Gyaan Sangam     1 comment   

     हमें कभी किसी को गालियाँ नहीं देनी चाहिए ,न ही अपशब्द कहने चाहिए। ऐसा करना अशिष्टता और असभ्यता है गालियों से अपनी ही वाणी और मन दूषित होते हैं। संस्कार गन्दे होते हैं। जिसे गालियाँ दी गई उसे वे नहीं लगती बल्कि स्वयं को लगती हैं। इसके लिए एक दृष्टांत देखिए ---
       एक दिन एक महात्मा एक गांव में से जा रहे थे। मार्ग में कुछ उद्द्ण्ड लोग खड़े थे। उन्होंने महात्मा को देखकर हंसी उड़ाना शुरू कर दिया। महात्मा पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उद्द्ण्ड लोगों ने देखा कि उनकी शरारत का महात्मा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। वे उसे तंग करना चाहते थे पर महात्मा तंग भी नहीं हुआ। इस बात से चिड़कर उन्होंने महात्मा को गालियाँ देनी आरंभ कर दी। सोचा ,अब तो महात्मा अवश्य चिढ़ेंगे ,किन्तु महात्मा अब रुककर शांत भाव से खड़े रहे। अंत में उद्द्ण्ड लोग थककर चुप हो गए।
        उनके चुप होने पर महात्मा ने कहा ---तुम कह चुके ,अब मेरी भी बात सुनो। उद्द्ण्ड लोग महात्मा की बात सुनने पर राजी हो गए। महात्मा ने उनसे पूछा --बताओ ,यदि तुम कोई वस्तु किसी को दान में दो और वह न ले तो वह वस्तु किसके पास रहेगी ?उद्द्ण्डों ने कहा ---दानदाताओं अथार्त हमारे पास ही रहेगी क्योंकि वह वस्तु तो हमारी है।
     बिलकुल सही कहा तुमने। इसी प्रकार तुमने जो गालियाँ दी वे मैंने नहीं ली। वे गन्दी गालियाँ तुम्हारे पास ही रह गई। तुम्हीं गालियों वाले बने रह गए। --महात्मा ने शांत भाव से कहा। यह सुनकर वे उद्द्ण्ड लज्जित हो गए और उन्होंने भविष्य में कभी गाली न देने और अपशब्द न कहने का वचन दिया।



  • Share This:  
  •  Facebook
  •  Twitter
  •  Google+
  •  Stumble
  •  Digg
Email ThisBlogThis!Share to XShare to Facebook
Updesh Kumari
सुंदर विचारों को लिखकर प्रकट करना मेरी आदत में शुमार है। मैने सन 1995 में हिंदी साहित्य में (शिवप्रसाद का कथा साहित्य ) शोध प्रबंध लिखा था। मुझे अध्यापन कार्य करते हुए पच्चीस वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। विचारों को एकत्रित कर सहेजना मेरी खूबी रही है। मुझे अपने विचार व्यक्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। मुझे ये बतलाते हुए गर्व है कि मेरे द्वारा पढ़ाये गये छात्र शत -प्रतिशत परिणाम लाये हैं और उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ये कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने का सदैव अवसर मिलता रहा है। मैं अपने पारिवारिक व कार्यस्थल से पूर्ण संतुष्ट हूँ। लिखना मेरा शौक है मजबूरी नहीं। मै आशा करती हू कि आप मेरे द्वारा लिखे गये को पसंद करेंगें।
Newer Post Older Post Home

1 comment:

  1. Sankalp choudharyAugust 3, 2021 at 8:52 AM

    आनंदम

    ReplyDelete
    Replies
      Reply
Add comment
Load more...

About Me

My photo
Updesh Kumari
सुंदर विचारों को लिखकर प्रकट करना मेरी आदत में शुमार है। मैने सन 1995 में हिंदी साहित्य में (शिवप्रसाद का कथा साहित्य ) शोध प्रबंध लिखा था। मुझे अध्यापन कार्य करते हुए पच्चीस वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं। विचारों को एकत्रित कर सहेजना मेरी खूबी रही है। मुझे अपने विचार व्यक्त करना भी बहुत अच्छा लगता है। मुझे ये बतलाते हुए गर्व है कि मेरे द्वारा पढ़ाये गये छात्र शत -प्रतिशत परिणाम लाये हैं और उच्च पदों पर कार्यरत हैं। ये कहने की कोई आवश्यकता नहीं है कि विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित करने का सदैव अवसर मिलता रहा है। मैं अपने पारिवारिक व कार्यस्थल से पूर्ण संतुष्ट हूँ। लिखना मेरा शौक है मजबूरी नहीं। मै आशा करती हू कि आप मेरे द्वारा लिखे गये को पसंद करेंगें।
View my complete profile

Popular Posts

  • बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय।
    माता -पिता हमारे लिए पूजनीय होते हैं लेकिन उनकी वृद्धावस्था में जब हम उनका साथ नहीं दे पाते तो बाद में हमे बड़ा पछतावा होता है। सोहन को वृद्...
  • मानव -शरीर एक घोडा गाड़ी
    मनुष्य शरीर क्या है ?कठोपनिषद में मनुष्य शरीर की तुलना एक घोडा गाड़ी से की गई है मनुष्य के शरीर में दस इंद्रियां -पांच ज्ञानेन्द्रियां -...
  • निराशाजनक स्थिति में हालात नहीं अपना नजरिया बदलें।
    निराशा से बचने का एक तरीका यह है कि किसी से कोई उम्मीद मत रखिए। इसके लिए कुछ सुझाव है -  अच्छी बातों को याद रखिए और बुरी बातों को भूल जा...
  • संसार तो नाम ही खट -खट का है, इससे कहां तक बचोगे ?
    लोग सोचते हैं कि घर के धंधों में प्रभु -भक्ति का समय ही नहीं निकलता। सब कुछ छोड़कर कहीं एकांत में भजन करेंगे। यही सोच लोग घर बार छोड़कर चल दे...
  • अहंकार पर विजय कैसे हो
    ईश्वर में विश्वास बनाये रखना अति आवश्यक है तभी हमारे अहंकार पर नियंत्रण होगा और हम अच्छे कार्य करते हुए शांतचित्त बने रह सकते है। जब मनुष्य...

Blog Archive

  • ▼  2018 (171)
    • ▼  September (32)
      • सुविचार 27/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 26/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 25/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 24/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 23/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 22/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 21/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 20/9/2018 Hindi Quotes
      • सुविचार 20/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 19/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 18/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 17/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 16/9/2018 -Hindi Quotes
      • सुविचार 14/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 15/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 13/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 12/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 11/9/2018 Hindi Quotes
      • सुविचार 10/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 9/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 8/8/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 7/8/2018 - Hindi Quotes
      • अपशब्दों से अपनी ही वाणी गंदी होती है।
      • सुविचार 6/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 5/9/2018 - Hindi Quotes
      • माता के साथ -साथ पिता को भी देवतुल्य समझकर उनकी प...
      • सुविचार 4/9/2018 - Hindi Quotes
      • माँ का कलेजा बोला --मेरे बच्चे ! चोट तो नहीं आई कह...
      • सुविचार 3/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 2/9/2018 - Hindi Quotes
      • सुविचार 1/9/2018 - Hindi Quotes
      • मोक्ष प्राप्त करने का अवसर केवल मनुष्य जन्म में ही...
    • ►  August (36)
    • ►  July (58)
    • ►  June (45)

CATEGORIES

Gyaan Sangam (64) Hindi Quotes (102) हेल्थ (6)

Total Pageviews

Sample Text

Copyright © Gyaan Sangam | Powered by Blogger
Design by Sachin | Managed by Updesh Kumari