- कठोर वाणी अग्निदाह से भी अधिक तीव्रता से दुःख पहुंचाती है। -चाणक्य
- हमारे मन के विचार कर्म के पथ प्रदर्शक होते हैं। -मुंशी प्रेमचंद
- काम में सफलता तभी मिलती है जब आपको वह काम करने में आए। इसलिए हर काम का आनंद उठाएं। -प्रमोद बत्रा
- छोटी वस्तुओं की अपेक्षा बड़ी वस्तुओं का त्याग असली त्याग है। -मान्टेन
- जो हानि हो चुकी है उसके लिए शोक करना ,अधिक हानि को निमंत्रित करना है। -शेक्सपियर
- केवल आध्यात्मिक ज्ञान ही ऐसा है ,जो हमारे दुखों को सदा के लिए नष्ट कर सकता है। -स्वामी विवेकानंद
- अपनी भूख सहने वाले तपस्वी की शक्ति उतनी नहीं होती ,जितनी कि दूसरे की भूख मिटाने वाले दानी की शक्ति। -संत तिरुवल्लुवर
- जिसे इंसान से प्रेम है और इंसानियत की समझ है ,उसे अपने आप में ही संतुष्टि मिल जाती है। -स्वामी सुदर्शनाचार्य जी
- जो मनुष्य दूसरे का उपकार करता है ,वह अपना उपकार न केवल परिणाम में अपितु उसी कर्म में करता है ,क्योंकि अच्छा काम करने का भाव ही स्वयं में उचित पुरस्कार है। -सेनेका
- अपनी सामर्थ्य का पूर्ण विकास न करना सबसे बड़ा अपराध है। जब आप पूर्ण क्षमता के साथ कार्य करते हैं ,तब आप दूसरों की सहायता करते हैं। -रोजर विलियम्स
0 comments:
Post a Comment