1 जीवन में सुख की तरह दुःख का भी स्वागत किया जाना चाहिए ,यह सोचकर कि सुख ज्यादा दिन नहीं रहा तो दुःख भी नहीं रहेगा। -मुनिश्री तरुणसागर
2 बुद्धि ,करुणा और साहस व्यक्ति के लिए तीन सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त नैतिक गुण हैं। -कन्फ्यूशियस
3 जैसे श्रम करने से शरीर मजबूत होता है ,उसी प्रकार कठिनाइयों से मस्तिष्क सुदृढ़ होता है। -लूसियस सेनक
4 दुनिया में दो ही त्रासदियां हैं। एक जिसकी ख्वाहिश हो वह नहीं मिलना और दूसरी त्रासदी ,उसका मिल जाना। -ऑस्कर वाइल्ड
5 मेहनत की फसल आप ही काटेंगे,सदैव ऐसा नहीं होता। हम आम खाते हैं पर पेड़ हमने नहीं लगाए थे। -लोकमान्य तिलक
6 रुकावटें ऐसी भयावह चीजें हैं। जो आपको उस वक्त नजर आती हैं ,जब आप अपने लक्ष्य से ध्यान हटा लेते हैं। -अज्ञात
7 यदि हम गिरते हैं तो अधिक अच्छी तरह चलने का रहस्य सीख जाते हैं। -महर्षि अरविंद
8 आंतरिक रूप से हम जो भी उपलब्धि हासिल करते हैं ,वह बाहरी वास्तविकता को बदल देती है। -प्लूटार्क
9 यदि विचारों को सजाकर मधुर ढंग से व्यक्त करने वाला प्राप्त हो तो संसार शीघ्र उसके आदेशों को सुनेगा। -तिरुवल्लुवर
10 समय लोगों को बदल देता है पर उनकी उस छवि को नहीं बदलता जो हमारे मन में बनी होती है। -मार्सेल प्रूस्त
2 बुद्धि ,करुणा और साहस व्यक्ति के लिए तीन सार्वभौमिक मान्यता प्राप्त नैतिक गुण हैं। -कन्फ्यूशियस
3 जैसे श्रम करने से शरीर मजबूत होता है ,उसी प्रकार कठिनाइयों से मस्तिष्क सुदृढ़ होता है। -लूसियस सेनक
4 दुनिया में दो ही त्रासदियां हैं। एक जिसकी ख्वाहिश हो वह नहीं मिलना और दूसरी त्रासदी ,उसका मिल जाना। -ऑस्कर वाइल्ड
5 मेहनत की फसल आप ही काटेंगे,सदैव ऐसा नहीं होता। हम आम खाते हैं पर पेड़ हमने नहीं लगाए थे। -लोकमान्य तिलक
6 रुकावटें ऐसी भयावह चीजें हैं। जो आपको उस वक्त नजर आती हैं ,जब आप अपने लक्ष्य से ध्यान हटा लेते हैं। -अज्ञात
7 यदि हम गिरते हैं तो अधिक अच्छी तरह चलने का रहस्य सीख जाते हैं। -महर्षि अरविंद
8 आंतरिक रूप से हम जो भी उपलब्धि हासिल करते हैं ,वह बाहरी वास्तविकता को बदल देती है। -प्लूटार्क
9 यदि विचारों को सजाकर मधुर ढंग से व्यक्त करने वाला प्राप्त हो तो संसार शीघ्र उसके आदेशों को सुनेगा। -तिरुवल्लुवर
10 समय लोगों को बदल देता है पर उनकी उस छवि को नहीं बदलता जो हमारे मन में बनी होती है। -मार्सेल प्रूस्त
0 comments:
Post a Comment