शिष्टाचार और तहजीब भरा व्यवहार किसी को भी आकर्षित करने के लिए काफी होता है। यह आपके व्यक्तित्व का भी आईना होता है। रिश्तों और सामाजिक संबंधों में भी शिष्टाचार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। शिष्ट और सभ्य व्यक्ति अपनी अलग ही छाप छोड़ते हैं जबकि अशिष्ट और असभ्य लोगों से रिश्ते बनाना तो दूर की बात, कोई बात करना भी पसंद नहीं करता। शिष्टाचार की जरूरत केवल घर पर ही नहीं हर जगह पर होती।यूं तो सामान्य शिष्टाचार हम सभी को पता है ,फिर भी कुछ ऐसी छोटी -छोटी बातें जिनको हम नजरअंदाज कर देते हैं। जैसे
*जब आप किसी के घर जाएं तो केवल ड्राइंगरूम में ही बैठे। पूरे घर में घूमने या तहकीकात करने का प्रयास न करें।
*किसी के सामने जोर से जम्हाई या डकार न लें।
*मेहमानों को खाना सलीके से सर्व करें।
*जब आप कहीं कुछ लोगों के साथ बैठकर खाना खा रहें है तो कभी भी फलों के बीज वगैरह मुंह से निकल कर खाने की मेज पर न रखें। इसके लिए पेपर नेपकिन का प्रयोग करें।
*किसी के सामने पैरों को ऐसे एक- दूसरे पर चढ़ा कर न बैठे कि पैरों के तलवे एकदम उसके सामने आ जाएं।
*जब आप बस या रेल में सफर करें तो किसी का सहारा लेकर न बैठें ,न ही किसी के कंधे पर टिककर सोएं।
*जब आप किसी मीटिंग या क्लास में हो तो अपना मोबाइल वाइब्रेटिंग मोड़ में या म्यूट रखें ,अन्यथा दूसरों को परेशानी हो सकती है।
*जब आप किसी के घर जाएं तो केवल ड्राइंगरूम में ही बैठे। पूरे घर में घूमने या तहकीकात करने का प्रयास न करें।
*किसी के सामने जोर से जम्हाई या डकार न लें।
*मेहमानों को खाना सलीके से सर्व करें।
*जब आप कहीं कुछ लोगों के साथ बैठकर खाना खा रहें है तो कभी भी फलों के बीज वगैरह मुंह से निकल कर खाने की मेज पर न रखें। इसके लिए पेपर नेपकिन का प्रयोग करें।
*किसी के सामने पैरों को ऐसे एक- दूसरे पर चढ़ा कर न बैठे कि पैरों के तलवे एकदम उसके सामने आ जाएं।
*जब आप बस या रेल में सफर करें तो किसी का सहारा लेकर न बैठें ,न ही किसी के कंधे पर टिककर सोएं।
*जब आप किसी मीटिंग या क्लास में हो तो अपना मोबाइल वाइब्रेटिंग मोड़ में या म्यूट रखें ,अन्यथा दूसरों को परेशानी हो सकती है।
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