जन्म और मृत्यु के बीच का समय जीवन कहलाता है। मनुष्य- जीवन बड़ा महत्वपूर्ण है। जीवन में ही सब प्रकार के शुभ -अशुभ कार्य होते हैं ,जिनके फलस्वरूप जीव की उन्नति या अवनति निर्भर करती है। इस जीवन में अगर कुछ नहीं किया तो उस व्यक्ति का आना -जाना कोई महत्व नहीं रखता,उसका जीवन बेकार होता है। जीवन में जीने की कला को सीखना चाहिए ,आशावादी बनना चाहिए
जीवन का हर पल ,हर क्षण राजी -ख़ुशी ,प्रेम से ,ईश्वर का धन्यवाद करके गुजारना चाहिए। मनुष्य -योनि में जीव को भोग और योग प्राप्त होता है। केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो अपनी बुद्धि का विकास करके अपने लिए सुख -साधन की वस्तुएँ इकट्ठी कर सकता हैऔर योग के द्वारा अपने विवेक से ईश्वर का सामीप्य प्राप्त कर सकता है।
जीवन का महत्व तभी है जब संसार से विदा हों तो लोग हमारे किये कर्मों को याद करें ,सराहें। जो कर्म हमने अधूरा छोड़ा ,उसको लोग पूरा करें। जिसकी कीर्ति व यश सदा रहती है उसी का जीवन सफल है ,वरना बहुत -से आए और गए। इस संसार में कोई फर्क नहीं पड़ता।
जीवन का हर पल ,हर क्षण राजी -ख़ुशी ,प्रेम से ,ईश्वर का धन्यवाद करके गुजारना चाहिए। मनुष्य -योनि में जीव को भोग और योग प्राप्त होता है। केवल मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जो अपनी बुद्धि का विकास करके अपने लिए सुख -साधन की वस्तुएँ इकट्ठी कर सकता हैऔर योग के द्वारा अपने विवेक से ईश्वर का सामीप्य प्राप्त कर सकता है।
जीवन का महत्व तभी है जब संसार से विदा हों तो लोग हमारे किये कर्मों को याद करें ,सराहें। जो कर्म हमने अधूरा छोड़ा ,उसको लोग पूरा करें। जिसकी कीर्ति व यश सदा रहती है उसी का जीवन सफल है ,वरना बहुत -से आए और गए। इस संसार में कोई फर्क नहीं पड़ता।
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