मेडिकल साइंस के सामने मोटापा एक बड़ी चुनौती की तरह खड़ा है। जरूरत से ज्यादा वजन तमाम तरह की बीमारियों को जन्म देता है और हृदय रोग ,मधुमेह ,गुरदे की बीमारी जोड़ों के दर्द ,गठिया ,पित्ताशय के रोग इत्यादि के लिए जिम्मेदार है। मोटापे की वजह से गर्भवती महिला को प्रसव के समय कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।
एक आम आदमी की तुलना में मोटे आदमी का कोई भी काम करने में ज्यादा समय लगता है। भारी -भरकम शरीर के कारण दुर्घटना की संभावना भी ज्यादा रहती है। परेशानी यहीं पर आकर खत्म नहीं हो जाती ,बल्कि सुस्ती ,पीठ दर्द और पैरों की तकलीफ भी आम हो जाती है। इस वजह से उसे काम मिलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही नहीं ,वह लोगों से कतराने भी लगता है।
अधिकतर लोग मोटापे से बचने के लिए नीम -हकीमों की शरण में चले जाते हैं या फिर डायटिंग शुरू कर देते हैं। ऐसा करते हुए उन्हें खाद्य -पदार्थों से वंचित रहना ही पड़ता है ,साथ ही पैसे का नुकसान भी होता है। कभी -कभी तो शारीरिक जोखिम भी उठाना पड़ता है।
वजन हडिड्यों पर ,लम्बाई पर और चर्बी की मात्रा पर निर्भर करता है। कई लोगों का वजन ज्यादा होता है पर उन्हें हम मोटा नहीं कह सकते ,क्योंकि उनके शरीर में चर्बी की मात्रा कम रहती है और मांसपशियों का वजन ही ज्यादा रहता है। जो व्यक्ति ज्यादा कसरत करते हैं ,खासकर खिलाड़ी ,उनका वजन भी ज्यादा होता है ,लेकिन उन्हें मोटा नहीं कहा जा सकता।
यूं तो मोटापे के कई कारण हो सकते हैं पर मुख्य है व्यक्ति का शारीरिक जरूरत से ज्यादा भोजन ग्रहण करना। मोटापे का इलाज सम्भव है लेकिन ऐसी स्थिति में डाक्टर का मार्गदर्शन बेहद जरूरी है। मोटापे का इलाज करने से पहले मरीज का बाकायदा चेकअप किया जाता है। साथ ही उसके खाने की आदतें ,उसकी दिनचर्या ,पारिवारिक इतिहास सबका पता लगाया जाता है जिससे इलाज में मदद मिल सके। वजन का घटना एक लम्बी प्रक्रिया है। शार्ट कट न अपना कर वजन धीरे -धीरे घटाना चाहिए।
खाने -पीने में सभी खाद्य पदार्थों का संतुलन आवश्यक है ,पर साथ ही यह ध्यान रखना होगा कि हम ज्यादा
फैट फ़ूड जैसे मक्खन ,तेल ,घी ,चॉकलेट ,आइसक्रीम ,तली हुई चीजें जैसे समोसे ,पकौड़े ,नमकीन ,पूरी -कचौरी ,जैम, शहद ,क्रीम के बिस्कुट ,मेवा ,आम ,अंगूर ,चीकू ,पेय पदार्थ ,डिब्बों में बंद खाने आदि से एकदम परहेज करें।
यह तो हम सब जानते हैं कि सिर्फ खान -पान में बदलाव लाने से ही हमारी समस्या का समाधान नहीं होने वाला है। इसके लिए हमें अपनी दिनचर्या में व्यायाम को भी शामिल करना होगा। अगर परेशानी है ,तो शुरू में सिर्फ दस मिनट की सैर से ही आरम्भ करें ,जिसे नियमित समय पर बढ़ा क़र पैंतालीस मिनट तक लाएं। अभ्यास से ही ऊर्जा खर्च होगी और हमारी पाचनशक्ति भी बढ़ेगी।
तकरीबन पांच प्रतिशत मोठे व्यक्ति हारमोनल असंतुलन की वजह से मोटापे के शिकार होते हैं। इस अवस्था में पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है और ऊर्जा का प्रयोग शरीर में ज्यादा नहीं होता है। आम खाना खाने से भी मोटापा शरीर में आ जाता है। सबसे पहले तो मर्ज का इलाज आवश्यक है। संक्षेप ,में हम यही कहना चाहेंगे कि मोटापा आज की जिंदगी का सबसे बड़ा अभिशाप है ,जिसका मुकाबला हमें सही खानपान और नियमित अभ्यास से करना होगा।
एक आम आदमी की तुलना में मोटे आदमी का कोई भी काम करने में ज्यादा समय लगता है। भारी -भरकम शरीर के कारण दुर्घटना की संभावना भी ज्यादा रहती है। परेशानी यहीं पर आकर खत्म नहीं हो जाती ,बल्कि सुस्ती ,पीठ दर्द और पैरों की तकलीफ भी आम हो जाती है। इस वजह से उसे काम मिलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही नहीं ,वह लोगों से कतराने भी लगता है।
अधिकतर लोग मोटापे से बचने के लिए नीम -हकीमों की शरण में चले जाते हैं या फिर डायटिंग शुरू कर देते हैं। ऐसा करते हुए उन्हें खाद्य -पदार्थों से वंचित रहना ही पड़ता है ,साथ ही पैसे का नुकसान भी होता है। कभी -कभी तो शारीरिक जोखिम भी उठाना पड़ता है।
वजन हडिड्यों पर ,लम्बाई पर और चर्बी की मात्रा पर निर्भर करता है। कई लोगों का वजन ज्यादा होता है पर उन्हें हम मोटा नहीं कह सकते ,क्योंकि उनके शरीर में चर्बी की मात्रा कम रहती है और मांसपशियों का वजन ही ज्यादा रहता है। जो व्यक्ति ज्यादा कसरत करते हैं ,खासकर खिलाड़ी ,उनका वजन भी ज्यादा होता है ,लेकिन उन्हें मोटा नहीं कहा जा सकता।
यूं तो मोटापे के कई कारण हो सकते हैं पर मुख्य है व्यक्ति का शारीरिक जरूरत से ज्यादा भोजन ग्रहण करना। मोटापे का इलाज सम्भव है लेकिन ऐसी स्थिति में डाक्टर का मार्गदर्शन बेहद जरूरी है। मोटापे का इलाज करने से पहले मरीज का बाकायदा चेकअप किया जाता है। साथ ही उसके खाने की आदतें ,उसकी दिनचर्या ,पारिवारिक इतिहास सबका पता लगाया जाता है जिससे इलाज में मदद मिल सके। वजन का घटना एक लम्बी प्रक्रिया है। शार्ट कट न अपना कर वजन धीरे -धीरे घटाना चाहिए।
खाने -पीने में सभी खाद्य पदार्थों का संतुलन आवश्यक है ,पर साथ ही यह ध्यान रखना होगा कि हम ज्यादा
फैट फ़ूड जैसे मक्खन ,तेल ,घी ,चॉकलेट ,आइसक्रीम ,तली हुई चीजें जैसे समोसे ,पकौड़े ,नमकीन ,पूरी -कचौरी ,जैम, शहद ,क्रीम के बिस्कुट ,मेवा ,आम ,अंगूर ,चीकू ,पेय पदार्थ ,डिब्बों में बंद खाने आदि से एकदम परहेज करें।
यह तो हम सब जानते हैं कि सिर्फ खान -पान में बदलाव लाने से ही हमारी समस्या का समाधान नहीं होने वाला है। इसके लिए हमें अपनी दिनचर्या में व्यायाम को भी शामिल करना होगा। अगर परेशानी है ,तो शुरू में सिर्फ दस मिनट की सैर से ही आरम्भ करें ,जिसे नियमित समय पर बढ़ा क़र पैंतालीस मिनट तक लाएं। अभ्यास से ही ऊर्जा खर्च होगी और हमारी पाचनशक्ति भी बढ़ेगी।
तकरीबन पांच प्रतिशत मोठे व्यक्ति हारमोनल असंतुलन की वजह से मोटापे के शिकार होते हैं। इस अवस्था में पाचन शक्ति कमजोर पड़ जाती है और ऊर्जा का प्रयोग शरीर में ज्यादा नहीं होता है। आम खाना खाने से भी मोटापा शरीर में आ जाता है। सबसे पहले तो मर्ज का इलाज आवश्यक है। संक्षेप ,में हम यही कहना चाहेंगे कि मोटापा आज की जिंदगी का सबसे बड़ा अभिशाप है ,जिसका मुकाबला हमें सही खानपान और नियमित अभ्यास से करना होगा।
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