जब इंसान पर व्यसन हावी हो जाता है तो वह कुछ भी कर गुजरता है। शराब, मांस,जूआ, अफीम ,भांग आदि जितने भी नशे वाले पदार्थ हैं ,वे सब शरीर और बुद्धि का नाश करने वाले हैं। नशे वाले पदार्थों के प्रयोग से अपराध वृति बढ़ती है। अपराध वृति बढ़ने से अपराध बढ़ते हैं। अपराध भी ऐसे कि अपने परिवार तक को तबाह कर डालते हैं। एक बार ऐसा वाकया हुआ धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में ,जहां रामलाल नाम के व्यक्ति ने अपने हँसते खेलते परिवार को मौत की नींद सुला दिया।
रामलाल को शराब की लत थी। गुजारा सिर्फ थोड़ी खेती पर ही चलता था। इस लत के चलते घर में कलह रहने लगा। पत्नी घर छोड़कर मायके चली गई। लेकिन उसका भाई समझ बुझा कर वापस ससुराल छोड़ आया। महज एक दिन बाद फिर शराब के कारण पति -पत्नी में झगड़ा हो गया। बस इसी बीच आवेश में आकर रामलाल ने अपनी पत्नी को कस्सी से काट डाला। माँ की चीख सुनकर बच्चे जाग गये। यह देख पापी पिता ने बच्चों को भी ठिकाने लगाने का मन बना लिया और एक के बाद एक ,चारोँ बच्चों (दो लड़के ,दो लड़कियां ) को भी कस्सी से काटकर मौत की नींद सुला दिया। क्षणिक आवेश में आकर रामलाल ने अपने परिवार को उजाड़ दिया लेकिन अब वह सलाखों के पीछे अपना पश्चाताप कर रहा है। अब पछताए होत क्या- जब चिड़िया चुग गई खेत।
रामलाल को शराब की लत थी। गुजारा सिर्फ थोड़ी खेती पर ही चलता था। इस लत के चलते घर में कलह रहने लगा। पत्नी घर छोड़कर मायके चली गई। लेकिन उसका भाई समझ बुझा कर वापस ससुराल छोड़ आया। महज एक दिन बाद फिर शराब के कारण पति -पत्नी में झगड़ा हो गया। बस इसी बीच आवेश में आकर रामलाल ने अपनी पत्नी को कस्सी से काट डाला। माँ की चीख सुनकर बच्चे जाग गये। यह देख पापी पिता ने बच्चों को भी ठिकाने लगाने का मन बना लिया और एक के बाद एक ,चारोँ बच्चों (दो लड़के ,दो लड़कियां ) को भी कस्सी से काटकर मौत की नींद सुला दिया। क्षणिक आवेश में आकर रामलाल ने अपने परिवार को उजाड़ दिया लेकिन अब वह सलाखों के पीछे अपना पश्चाताप कर रहा है। अब पछताए होत क्या- जब चिड़िया चुग गई खेत।
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