बहुत से बच्चों को हकलाकर बोलने की आदत होती है ,जो माता -पिता की परेशानी का कारण बन जाती है। होता यह है कि बड़े होने पर भी बच्चे को अपनी इस आदत से छुटकारा नहीं मिल पाता और वह लोगों के उपहास का पात्र बनता है। इस वजह से उसके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता। वह अजनबी लोगों से बात करने में घबराने लगता है। सभाओं व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर वह ठीक से बोल नहीं पाता। नतीजन ,वह हीनभावना का शिकार होने लगता है। युवा होने पर भी उसकी हकलाने की आदत नहीं जाती ,तो नौकरी या किसी प्रतियोगी परीक्षा के साक्षात्कार के दौरान उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
बोलचाल की भाषा में हकलाने का अर्थ है-- सामान्य या धाराप्रवाह ढंग से बोलने में अयोग्यता। कभी -कभी मानसिक दबाव या घबराहट की वजह से जुबान का लड़खड़ाना भी हकलाहट को जन्म देता है। लेकिन यह उस तरह का हकलाना नहीं माना जाता। हकलाने की आदत में पहले शब्दांश ,व्यंजन या स्वर के स्वाभाविक उच्चारण में कठिनाई महसूस होती है।जीभ मुंह में खिंच -सी जाती है तथा मुंह की मांसपेशियों में स्वतः संकुचन आ जाता है।
विशेषज्ञों का मत है कि हकलाना शारीरिक दोष के अलावा मानसिक कारणों से भी उत्पन्न होता है। बच्चों की हकलाकर बोलने की नकल ,जल्दी बोलने की आदत ,हीनभावना और उनपर मानसिक दबाव के कारण उनमें वाणी दोष का जन्म होता है। शारीरिक कारणों में कुपोषण के कारण हुई बीमारी से भी बच्चों में हकलाने की आदत देखी जाती है। हकलाहट की आदत छुड़ाने के लिए किसी विशेषज्ञ की राय लेना आवश्यक है। साथ ही माता -पिता को भी कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए -
बोलचाल की भाषा में हकलाने का अर्थ है-- सामान्य या धाराप्रवाह ढंग से बोलने में अयोग्यता। कभी -कभी मानसिक दबाव या घबराहट की वजह से जुबान का लड़खड़ाना भी हकलाहट को जन्म देता है। लेकिन यह उस तरह का हकलाना नहीं माना जाता। हकलाने की आदत में पहले शब्दांश ,व्यंजन या स्वर के स्वाभाविक उच्चारण में कठिनाई महसूस होती है।जीभ मुंह में खिंच -सी जाती है तथा मुंह की मांसपेशियों में स्वतः संकुचन आ जाता है।
विशेषज्ञों का मत है कि हकलाना शारीरिक दोष के अलावा मानसिक कारणों से भी उत्पन्न होता है। बच्चों की हकलाकर बोलने की नकल ,जल्दी बोलने की आदत ,हीनभावना और उनपर मानसिक दबाव के कारण उनमें वाणी दोष का जन्म होता है। शारीरिक कारणों में कुपोषण के कारण हुई बीमारी से भी बच्चों में हकलाने की आदत देखी जाती है। हकलाहट की आदत छुड़ाने के लिए किसी विशेषज्ञ की राय लेना आवश्यक है। साथ ही माता -पिता को भी कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए -
- हकलाने के बावजूद बच्चे को खूब पढ़ने तथा बोलने का अभ्यास कराया जाए।
- बोलते वक्त स्वर के उच्चारण के अभ्यास पर ध्यान देना चाहिए ,क्योंकि स्वर ही शब्द और वाणी का प्रमुख आधार होता है।
- बच्चे को सभाओं व समूह -चर्चाओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करते रहना चाहिए।
- बच्चे के हकलाने पर उसे न ही झिड़कें और न ही उसकी हंसी उड़ाएं।
- बच्चे को पर्याप्त लाड -प्यार और स्नेह देते रहें।
0 comments:
Post a Comment